बलगम में खून आने के कारण ,जांच और उपाय,khakhar me khoon aana,khasi me blood,kabhi kabhi balgam me khoon aana,lar me blood aana,khansi mein khoon aana,kala balgam aana,blood in cough
कभी-कभी व्यक्ति के खांसते वक्त बलगम के साथ खून आ जाता है। बलगम के साथ खून आना व्यक्ति को सचेत करती है किसी भयंकर बीमारी के लिए। ऐसे में व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिए, क्योंकि अगर वह इसे अनदेखा करता है, तो वह किसी भयंकर बीमारी से ग्रसित हो सकता है । आज हम बलगम में खून आने के कारणों के बारे में चर्चा करेंगे।बलगम में खून आने के कारण-
टीवी की बीमारी की वजह से -
जो व्यक्ति टीवी की बीमारी से ग्रसित है उसे भी खांसते समय बलगम से खून आ सकता है ।अर्थात जो व्यक्ति लंबे समय से टीवी की बीमारी से ग्रसित होता है उसे खांसते वक्त बलगम के साथ खून आ सकता है ।परंतु जिन मरीजों को लंबे समय तक रात में खांसी आना, पसीना आना ,बुखार आना और और वजन कम होना आदि लक्षण दिखाई देते है ,तो समझ लीजिए उन्हें टीवी अर्थात ट्यूबरकुलोसिस की वजह से खून आ रहा हैं।फेफड़ों का कैंसर-
फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित मरीजों को भी बलगम से खून आ सकता है इसमें मरीज को निरंतर खून आने की समस्या नहीं होती है बल्कि महीने, 2 महीने ,6 महीने पर बलगम से खून आ सकता है। इसमें मरीज को खून आने की संभावना जो होती है उसकी कोई समय सीमा फिक्स नहीं होती है।चोट के कारण-
चोट के कारण भी खांसते समय बलगम से खून आ सकता है ।कभी-कभी व्यक्ति को सीने में चोट लग जाती है जिसके कारण सीने में ब्लड जम जाता है, और जब वह खांसता है तो उसके बलगम साथ खून आ जाता है। यह स्थिति कभी-कभी होती हैलम्बी या गंभीर खांसी-
लगातार खांसी का असर ऊपरी सांस नली (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) पर पड़ता है और रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण खून आता है।ब्रोंकाइटिस-
बलगम के कारण हवा को फेफड़ों तक ले जाने वाली नली में सूजन आ जाती है। इस स्थिति को ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इसके खांसते समय कफ निकलता है। लगातार ब्रोंकाइटिस बना रहे तो खांसी के साथ खून आने लगता है।
ब्रोन्किइक्टेसिस-
ब्रोन्किइक्टेसिस के कारण भी खांसी में खून आता है। फेफड़ों के वायु मार्ग के कुछ हिस्सों के स्थायी रूप से फैलने के कारण यह स्थिति बनती है। इसके कारण संक्रमण, सांस की तकलीफ और घरघराहट होती है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)-
सीओपीडी यानी फेफड़ों तक आने-जाने वाली वायु के मार्ग में अवरोध। इसके कारण खांसी बनी रहती है, सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट होती है।
निमोनिया के कारण-
बलगम में खून आने का कारण हो सकता है निमोनिया अर्थात जो व्यक्ति लंबे समय से निमोनिया से ग्रसित होता है उन्हें कभी-कभी बलगम से खून आ जाता है ।ल्यूकेमिया के कारण-
ल्यूकेमिया से ग्रसित व्यक्ति को भी बलगम में खून आने की समस्या पैदा हो सकती हैं ।पर यह कभी कभी हो सकता है ,निरंतर नहीं।गर्दन का कैंसर-
यह आमतौर पर गले या विंडपाइप में शुरू होता है। इससे गले में सूजन या खराश पैदा होती है जो आसानी से ठीक नहीं होती। इसके कारण खांसी में खून आता है।
हृदय का सही से काम ना करना-
जिन व्यक्तियों का हृदय सही से कार्य नहीं करता है उन्हें भी बलगम में खून आने की समस्या हो सकती है अर्थात जब हृदय सही से पंप नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में बलगम से खून आ सकता है।हृदय वाल्व का कठोर होना-
कभी-कभी हृदय वाल्व कठोर हो जाते हैं जिसकी वजह से ये सही से कार्य नहीं कर पाते ।ऐसी परिस्थिति में बलगम से खून आ सकता है।बलगम से खून आने के लिए परीक्षण
चेस्ट परीक्षण
इस परीक्षण द्वारा पता लगाया जाता है कि कोई लंग्स कैंसर तो नहीं है । या किसी ट्यूमर की समस्या तो नहीं है, या कोई अन्य कारण तो नहीं है ,जिसके वजह से बलगम में खून आने की समस्या पैदा हुई है।इस परीक्षण से जो भी कारण होता है वह पता चल जाता है, जिसे डॉक्टर सही उपचार द्वारा ठीक देता और खून आने की बीमारी का समाधान हो जाता है।FULL BLOOD COUNT-
इसे एबीसी या सीबीसी भी कहा जाता है इसमें जो भी सेल्स होते हैं, वह नॉर्मल देखने को मिल जाती है। प्लेटलेट अगर कम है तो इसका भी पता चल जाता है ।डब्ल्यूबीसी एब्नार्मल हो सकती है ,एलर्जी की वजह से स्नोफिल बड़ी हुई हो सकती है आदि का पता चल जाता है ।ब्रोंकोस्कॉपी BRONCHOSCOPY-
इस प्रक्रिया में ट्यूब के बाहर आगे की ओर एक कैमरा लगा होता है। जिसकी सहायता से पता लगाया जा सकता है कि कोई ट्यूमर या अन्य संक्रमण तो नहीं है।सीटीपीए CTPA-
इसके द्वारा भी बलगम में खून आने की समस्या की जांच होती है।बलगम में खून आने का उपचार -
किसी व्यक्ति को ऐसी समस्या है तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए,अगर किसी मरीज को अचानक से खून आ रहा है और बहुत ज्यादा आ रहा है ,तो उसे ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए। उसे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी ऐसी परिस्थिति में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। कभी एसा भी हो सकता है कि उसका हृदय सही से कार्य न कर रहा हो ,तो उसे वेंटीलेटर पर रखा जा सकता है ।यह सारी व्यवस्थाएं आपको घर पर नहीं मिलेंगी । इसलिए आपको उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराना जरूरी हो जाता हैकभी-कभी ऐसी परिस्थिति भी आ जाती है कि डॉक्टर को सर्जरी करना पड़ता है ।हॉस्पिटल में आपको सारी सुविधाएं मिल जाएगी ,जो मरीज की स्थिति के अनुसार उसकी जांच करने में और उसके अनुसार उसका ट्रीटमेंट करने में बहुत ही आवश्यक होती है। इसलिए आपको ऐसी कंडीशन में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और डॉक्टर से तत्काल संपर्क करना चाहिए।
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