गलगंड/घेंघा(goiter) क्या है ?ghengha rog kya hota hai?
कंठमाला को घेघा रोग(goitre)के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग आयोडीन की कमी से होता है। इस रोग में गर्दन या गले में थोड़ी सूजन हो जाती है, जिसके कारण गले का कुछ हिस्सा फूला हुआ नजर आता है ।अगर इसका इलाज सही समय पर न किया जाए ,तो यह कैंसर का रूप धारण कर लेता है।अतः घेंंघा का इलाज सही समय पर कराना नितांत आवश्यक होता है। घेंघा रोग थायराइड ग्रंथि(thyroid ke gharelu upay) में होने वाला रोग है ।
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घेंघा रोग/ गलगंड |
घेंघा रोग होने के कारण -ghengha rog ke karan
आमतौर पर अगर देखा जाए तो घेंघा रोग होने का मुख्य कारण जो होता है ,वह आयोडीन की कमी होती है अर्थात जिन व्यक्तियों में आयोडीन की कमी होती है वह घेंघा रोग से ग्रसित हो जाते हैं ।अत: व्यक्ति को आयोडीन युक्त नमक का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए।
गलगंड/ थायराइड (goiter)/thyroid के लक्षण( galgand ke lakshan)
- तीव्र सिरदर्द
- गर्दन में जकड़न
- नींद के झोंके
- मुर्छा आना
- अत्यधिक वमन
- अत्यधिक तापमान
- पेट दर्द
- अंडकोषों में सूजन
घेंघा रोग में क्या नहीं खाना चाहिए ?ghengha rog me kya na khaye ?
- घेघा रोग में दूध से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए ।खट्टी- मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- देर से पचने वाले पदार्थ अर्थात गरिष्ठ भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- मोटापा बढ़ाने वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए ।ज्यादातर रसदार पदार्थ हानिकारक होते हैं अतः रसदार पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
घेंघा में क्या खाएं ?ghengha rog me kya khaye?
घेघा रोग से ग्रसित रोगी को पुराना लाल चावल खाना चाहिए ।पुराना घी ,मूंग, परवल, करेला तथा पुष्टि कारक या शुद्धि देने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए ।जल्दी पचने वाला भोजन करने से भी लाभ होता हैं।
घेंघा रोग के घरेलू उपाय/ गलगंड आदि पर औषध प्रयोग(ghengha rog ka ilaj in hindi)
घेंघा रोग के निम्नलिखित घरेलू उपाय हो सकते हैं-
(1)आयोडीन युक्त नमक-
घेघा रोग (goiter disease)आयोडीन की कमी के कारण होता है ।जब तक व्यक्ति को आयोडीन युक्त नमक प्रचुर मात्रा में मिलता रहेगा ,तब तक व्यक्ति घेंघा रोग से ग्रसित नहीं हो पायेगा ।व्यक्ति को अपने भोजन में आयोडीन युक्त नमक का ही प्रयोग करना चाहिए।
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आयोडीन युक्त नमक |
(2)अरंडी की जड़ का प्रयोग -
(3)पीपल और थुअर का प्रयोग-
अगर आप भी घेघा रोग से परेशान हैं तो आपके लिए पीपल और थूहर काफी उपयोगी होगा। पीपल और थूअर का लेप करने से घेंघा रोग में आराम मिलता है।
(4)सुखी लौकी /लौकी के तूंबे के प्रयोग से-
लौकी के पके फल में पानी भरकर 1 सप्ताह के लिए रख दें इसके बाद इस पानी को पिए घेंघा रोग (ghengha rog ke gjarelu upay )में बहुत फायदा होता है।दूसरे शब्दों में "लौकी के तूंबे में सात दिन तक पानी भरकर रख दें। इस पानी को पीने से घेंघा रोग में बहुत ही आराम मिलता हैं।"
(5)केले की जड़ का प्रयोग -
घेघा रोग से परेशान व्यक्तियों के लिए केले की जड़ का प्रयोग काफी लाभदायक होता है इसके लिए केले के जोड़े को धोकर उसकी पांच टुकड़े कर ले बाजू टुकड़ों को बीचो-बीच सुई से छेद कर ले छेद में धान धागा डालकर इन्हें आपस में गूंथ ले अब इसको थायराइड वाले स्थान पर या गलगंड पर बांधना है कुछ दिनों तक लगातार इसका प्रयोग करने से घेंघा रोग ठीक हो जाता है
(6) सर्पगन्धा, आँवला, आशकन्द और अर्जुन की छाल को समान लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 माशा दिन में दो बार लेने से गलगण्ड ठीक होता है।
(7) समुद्रफेन, सहजने के बीज तथा दशमूल की सभी औषधियाँ पीसकर गरम-गरम लगाने से बात के कारण होने वाला गलगण्ड ठीक हो जाता है।
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